‘कितने गाजी आए, कितने गाजी गए’ (Kitne Ghazi Aaye Kitne Ghazi Gaye) एक ऐसी पुस्तक है जो सेना के प्रमुख रहे लेफ्टिनेंट जनरल के.जे.एस. ‘टाईनी’ ढिल्लों के जीवन की अद्वितीय कहानियों को साझा करती है।
यह पुस्तक व्यक्तिगत, पेशेवर, और पारिवारिक जीवन के रोमांचक पहलुओं को परिभाषित करती है, जो एक सैनिक के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। यह किताब उन चुनौतियों और संघर्षों के बारे में बताती है जिनका सामना सैनिक और उनके परिवार करते हैं। इससे पाठकों को एक नए दृष्टिकोण और समझ प्राप्त होती है कि सेना के सदस्यों के जीवन में कैसे विभिन्न पहलुओं का सामना किया जाता है।
इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य युवाओं को सेना में शामिल होने के प्रेरित करना है। इसके माध्यम से पाठकों को सैनिकों के जीवन की वास्तविकता समझने का मौका मिलता है और उन्हें सेना में शामिल होने के फायदे और चुनौतियों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। यह पुस्तक न केवल जीवन की उच्चाधिकारिता को दर्शाती है, बल्कि वहाँ के लोगों के शौर्य और समर्पण की कहानियों को भी साझा करती है जो पाठकों में एक गहरा आदर्श और जागरूकता भरती है।
इस पुस्तक के प्रकाशक हैं प्रभात प्रकाशन। इसका अनुवाद आनंद कुमार राय और नितिन माथुर ने किया है।
पढ़ें पुस्तक की खास बातें :
सेना में कश्मीर सेवा
- लेफ्टिनेंट जनरल के.जे.एस. ‘टाईनी’ ढिल्लों ने अपने लगभग चार दशकों के सेवा काल में कश्मीर में राजपूताना राइफल्स के साथ सेवाएँ दीं।
- इस पुस्तक में ‘टाईनी’ ढिल्लों के उदार सेना जीवन की रोचक कहानियाँ हैं, जो उनकी कश्मीर में सेवा के दौरान की अनगिनत साहसिक यात्राओं का वर्णन करती हैं।
- यह पुस्तक पाठकों को ‘टाईनी’ ढिल्लों के दृढ़ संकल्प, सेना में उनकी मेहनत और वीरता की कहानियों के माध्यम से प्रेरित करती है।
आतंकवाद-विरोधी अभियान
- लेफ्टिनेंट जनरल के.जे.एस. ‘टाईनी’ ढिल्लों ने कश्मीर अपने अनेक सेवा-वर्षों के दौरान कठिन चुनौतियों का सामना किया।
- यह पुस्तक उनके सामने आए आतंकवाद-विरोधी अभियानों से लेकर सेना की उदारवादी शक्ति के बीच संतुलन बनाए रखने की जिम्मेदारी की कहानियों से भरी हुई है।
- अपने सेवा काल में, ढिल्लों ने कश्मीर के संघर्षों और विपरीत प्रतिक्रियाओं का सामना किया जिसे वे इस पुस्तक में विस्तार से बताते हैं।
साहस और सेना का संबंध
- लेफ्टिनेंट जनरल के.जे.एस. ‘टाईनी’ ढिल्लों ने युवा होकर चिनार के कोर कमांडर बनने तक की अपनी पूरी यात्रा को कलमबंद किया है।
- उनके साथ जुड़े साहसपूर्ण पलों का खुलासा होगा, जो उन्होंने कश्मीर में गुजारे।
- ढिल्लों की यह यात्रा दिखाएगी कि किस प्रकार उन्होंने कश्मीर में अपने करियर की शुरुआत से लेकर उनके उच्चतम संघर्षों तक अपने अंदर के इंसान के साथ साहसपूर्ण और निर्भय रूप से व्यवहार किया।
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चुनौतियों का सामना
- ‘कितने गाजी आए, कितने गाजी गए’ ( Kitne Ghazi Aaye Kitne Ghazi Gaye ) पुस्तक में कश्मीरी पंडितों के पलायन की कहानी दी गई है, जो कश्मीर से अपने घरों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में सुरक्षा की खोज में निकले।
- पुलवामा में हुए बर्बर हमलों का वर्णन किया गया है, जिसमें आतंकवादियों द्वारा सुरक्षाबलों पर किए गए आक्रमण को दर्शाए गया है।
- बालाकोट हवाई हमले का विस्तृत वर्णन भी मिलता है, जिसमें भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों पर किए गए आक्रमण की रोचक दास्तान प्रस्तुत की गई है।
- पुस्तक में अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद कश्मीर में हुई स्थिति का विश्लेषण भी शामिल है, जिसमें इस ऐतिहासिक कदम के प्रभाव और प्रतिक्रिया का विश्लेषण किया गया है।
- इसके अलावा, पुस्तक में अनेक घटनाओं के मिथकों, अर्ध-सत्यों, क्या और क्यों पर चर्चा की गई है, जिससे पाठकों को वास्तविक तथ्यों के साथ संबंधित जानकारी मिलती है।
इतिहास के षड्यंत्र
- ‘कितने गाजी आए, कितने गाजी गए’ ( Kitne Ghazi Aaye Kitne Ghazi Gaye ) पुस्तक जम्मू-कश्मीर के इतिहास में होनेवाली विभिन्न षड्यंत्रकारी घटनाओं को विस्तृत तौर पर बयान करती है।
- यह पुस्तक छोटी-छोटी कहानियों के जरिए दर्शाती है कि कैसे इन घटनाओं ने राज्य की सुरक्षा पर असर डाला।
- यह उन घटनाओं की बारीकियों को प्रस्तुत करती है जिनके फलस्वरूप लोगों के जीवन पर उसका प्रभाव पड़ा।
सेना के दिग्गज का सच है ‘Kitne Ghazi Aaye Kitne Ghazi Gaye’
‘कितने गाजी आए, कितने गाजी गए’ ( Kitne Ghazi Aaye Kitne Ghazi Gaye ) एक बेबाक, विचारोत्तेजक और सुधी दृष्टिकोण से लिखी गई पुस्तक है जो सेना के इस दिग्गज के जीवन की सच्ची कहानियों को सामने लाती है। यह पुस्तक एक सैनिक के निजी, पेशेवर और पारिवारिक जीवन पर केंद्रित है और उन चुनौतियों और संघर्षों की जानकारी देती है, जिनका सामना सैनिक और उनके परिजन करते हैं।
यह पुस्तक रोचक है और पाठकों, विशेष रूप से सेना में जाने के इच्छुक युवाओं को प्रेरित करेगी। इससे नए सोचने का एक नजरिया मिलेगा और सैनिकों के जीवन को समझने में मदद मिलेगी।
कितने गाजी आए, कितने गाजी गए लेखक : लेफ्टिनेंट जनरल के.जे.एस. 'टाईनी' ढिल्लों पृष्ठ : 304 प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन किताब का लिंक : https://amzn.to/48Zo4u9