राजेश रावल द्वारा लिखा लघु-उपन्यास ‘लव गुरु’ एक ऐसी कहानी है जो आपको समझाती है कि हर रिश्ते के मायने होते हैं। हर रिश्ता खास होता है, और हर रिश्ता समय के साथ परिपक्व होता जाता है। प्रेम और वासना के अंतर को भी लेखक ने इस पुस्तक के माध्यम से स्पष्ट करने की कोशिश की है।
‘लव गुरु’ का प्रकाशन स्टोरी मिरर ने किया है। यह लेखक की पहली पुस्तक है।
पुस्तक की कहानी में कोई जोड़-तोड़ या बिना मतलब के ट्विस्ट नहीं हैं। यह एक सरल कहानी है, जिसका बहाव पूरी तरह ‘सिंपल’ रखा गया है। लेखक ने ‘कामसूत्र’ और युवाओं के बनते-बिगड़ते रिश्तों पर अधिक जोर दिया है। राजेश रावल चाहते तो कहानी को और विस्तार दे सकते हैं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। शायद वे इसे उलझाना नहीं चाहते थे।
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तीन दोस्त राजेश, पंकज और कुनाल एक विज्ञापन देखकर नैनीताल में एक ‘लव गुरु’ से मिलते हैं। हालांकि उस व्यक्ति की निजि जिंदगी खुद उथलपुथल भरी थी, जिसने उसे दूसरों को ज्ञान देनेवाला बना दिया था।
ख़ुद समस्याओं में उलझा ‘लव गुरु’
लव गुरु की पत्नी अंजलि उसे छोड़कर जा चुकी थी। अब वह खुद की तलाश में औरों के जीवन को संवारने की कोशिश में लगा हुआ था। वह जगह-जगह लोगों को ज्ञान बांटने लगा था-खासकर शादी-शुदा जोड़ों के जीवन की कठिनाइयों को दूर करने के टिप्स देना उसे अच्छा लगता था।
इस बार उसके सामने छह ऐसे भी लोग थे जो वैवाहिक नहीं थे। इनमें तीन युवा और तीन युवतियां थीं। धीरे-धीरे इनमें घनिष्ठता बढ़ जाती है, लेकिन आगे के जीवन को लेकर संशय बरकरार है। लव गुरु की हिदायत पर इनकी जिंदगी आगे बढ़ती है। बाद में लव गुरु की जिंदगी भी पटरी पर आ जाती है। इस तरह से कहानी एक हैप्पी एंडिग तक जाती है।
खास सूत्र जो आपके लिए होंगे उपयोगी
राजेश कुमार ने आखिर में कुछ बेहद खास सूत्र भी बताए हैं, जो किसी सेल्प-हेल्प पुस्तक की तरह भी इस पुस्तक को बनाते हैं। इस पुस्तक को आप एक सांस में पढ़ सकते हैं।
लव गुरु
लेखक : राजेश रावल
पृष्ठ : 100
प्रकाशक : स्टोरी मिरर
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