हस्ताक्षर : कला इतिहास में बिहार की महिलाएँ


‘हस्ताक्षर : कला इतिहास में बिहार की महिलाएँ’ पुस्तक को रीना सोपम ने लिखा है जिसमें बिहार की उन महिलाओं के योगदान और संघर्षों का उल्लेख है जिन्होंने कला, संगीत और रंगमंच के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह पुस्तक स्वतंत्रता के बाद बिहार की कला परंपराओं को जीवित रखने में उन महिला कलाकारों के योगदान को उजागर करती है जिन्होंने चुनौतियों के बावजूद काम किया। इस पुस्तक को प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है।

'हस्ताक्षर : कला इतिहास में बिहार की महिलाएँ' पुस्तक को रीना सोपम ने लिखा है
हस्ताक्षर : कला इतिहास में बिहार की महिलाएँ / रीना सोपम.

पुस्तक उन महिलाओं की अनकही कहानियों को सामने लाती है जिन्होंने आजादी के बाद के साठ और सत्तर के दशक में बिहार में शास्त्रीय संगीत, लोकधुन, नृत्य और रंगमंच को जीवित रखा। कला-संस्कृति के क्षेत्र में सक्रिय रहते हुए, उन्हें कई सामाजिक-सांस्कृतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा फिर भी उन्होंने अपनी कला को नहीं छोड़ा। आज बिहार की वर्तमान पीढ़ी जिस समृद्ध कला-परंपरा से जुड़ी हुई है वह इन्हीं गुमनाम महिलाओं की देन है।

‘हस्ताक्षर : कला इतिहास में बिहार की महिलाएँ’ पुस्तक उन गुमनाम नायिकाओं के जीवन, उनके योगदानों और उपलब्धियों के बारे में बताती है, जिनके बारे में हमारे बीच बहुत कम जानकारी है। यह संकलन इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बिहार के सांस्कृतिक इतिहास में उन महिलाओं की भागीदारी और उनके विशिष्ट योगदानों को रेखांकित करता है।

'हस्ताक्षर : कला इतिहास में बिहार की महिलाएँ' उन गुमनाम नायिकाओं के जीवन, उनके योगदानों और उपलब्धियों के बारे में बताती है
‘हस्ताक्षर : कला इतिहास में बिहार की महिलाएँ’ उन गुमनाम नायिकाओं के जीवन, उनके योगदानों और उपलब्धियों के बारे में बताती है.
हस्ताक्षर : कला इतिहास में बिहार की महिलाएँ
हस्ताक्षर : कला इतिहास में बिहार की महिलाएँ

इस संकलन में विंध्यवासिनी देवी और शारदा सिन्हा जैसी प्रसिद्ध हस्तियों से लेकर नवनीत शर्मा, नूर फातिमा, शांति जैन, बेगम अजीजा इमाम, डॉ. रमा दास, उमा-गौरी चैटर्जी, कुमुद अखौरी, गिरिजा सिंह और शांति देवी जैसी अन्य नायिकाओं की कहानियाँ शामिल हैं।

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यह पुस्तक हमें उन महिलाओं के बलिदान और संघर्ष से परिचित कराती है, जिन्होंने कला को जीवित रखने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है जो बिहार की सांस्कृतिक विरासत को समझने में मदद करता है और उन नायिकाओं को सम्मान देता है, जिनकी कहानियाँ लंबे समय से भुला दी गई थीं।

हस्ताक्षर : कला इतिहास में बिहार की महिलाएँ
रीना सोपम
पृष्ठ : 144
प्रभात प्रकाशन
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