भगवान शिव धर्म, अध्यात्म और विज्ञान के बीच की कड़ी हैं


डॉ. संदीप कुमार शर्मा की पुस्तक ‘मेरे आराध्य शिव’ भगवान शिव के परम व्यक्तित्व, उनके वैज्ञानिक और आध्यात्मिक सिद्धांतों और सनातन धर्म में उनकी केंद्रीय भूमिका पर आधारित है। यह शिव को केवल एक पूजनीय देवता के रूप में नहीं, बल्कि विज्ञान एवं ज्ञान के मर्मज्ञ, सृष्टि के मूल आधार, और मानवता के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहने वाले आदिगुरु के रूप में प्रस्तुत करती है। इसमें शिव द्वारा धारण किए गए उपमानों के ज्ञानवर्धक अर्थों, त्रिकालदर्शी स्वरूप, तथा उनके ‘शिव-शिक्षा-सिद्धांत’ के वैज्ञानिक महत्व को समझाया गया है। यह पुस्तक पाठकों को शिव के बहुआयामी और महान स्वरूप से परिचित कराती है जो जीवन, प्रकृति, और ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करता है। इस खास पुस्तक को डायमंड बुक्स ने प्रकाशित किया है।

भगवान शिव धर्म, अध्यात्म और विज्ञान के बीच की कड़ी हैं book on bhagwan shiva in hindi
भगवान शिव को विज्ञान एवं ज्ञान का मर्मज्ञ बताया गया है.

भगवान शिव का व्यक्तित्व त्रिकालदर्शी, त्रिनेत्रधारी और त्रिदेवों में अग्रणी है, जिनकी जटाओं से गंगा अवतरित हुई, जो पृथ्वी पर जीवनदान का प्रतीक है, और मस्तक पर चंद्रमा शीतलता का प्रतीक है। शिव न केवल पूजनीय आराध्य हैं, अपितु वह संपूर्ण सृष्टि के मूल आधार हैं। उनका वास्तविक स्वरूप वैज्ञानिक बताया गया है, और यह पुस्तक विज्ञान, ज्ञान, धर्म तथा भक्ति के विभिन्न प्रसंगों को समाहित करती है।

शिव आदिगुरु हैं, प्राकृतिक संपदा के अनुसंधानकर्ता हैं, और विध्वंसक प्रवृत्ति के होते हुए भी, वह गंगाजल को हिमालय से लाकर विकास की नई इबारत लिखते हैं। वह नृत्य में पारंगत, शल्य चिकित्सा में विशिष्ट और अंतरिक्ष के विशेषज्ञ हैं। उन्होंने मार्कण्डेय को महामृत्युंजय मंत्र देकर भय का निवारण किया और नीलकंठ बनकर मानव कल्याण किया।

शिवलिंग की पूजा धार्मिक आस्था का प्रतीक है, किंतु इसका वैज्ञानिक आधार आज भी उतना ही कारगर है जितना शिव ने स्थापित किया था, जिसके माध्यम से वह मानव समुदाय को यौन शिक्षा देते हैं और विनाशकारी ऊर्जा को नियंत्रित करने का यंत्र सौंपते हैं। उनका यह बहुआयामी रूप उनके विराट स्वरूप को दर्शाता है।

भगवान शिव धर्म, अध्यात्म और विज्ञान के बीच की कड़ी हैं book on lord shiva in hindi
भगवान शिव शिव सदैव मानव कल्याण को तत्पर रहते हैं.
शिव को ब्रह्मा और विष्णु के साथ सनातन धर्म का संस्थापक माना जाता है जिन्होंने अथक प्रयासों से मानव समुदाय को वैज्ञानिक जीवन पद्धति प्रदान की। सत्ययुग में देवताओं और ऋषियों का मुख्य उद्देश्य विज्ञान और अनुसंधान के माध्यम से लोगों को यह जीवन पद्धति प्रदान करना था, जिसमें वे सफल रहे। इस क्रम में, ब्रह्मा जी संस्थापक, विष्णु जी व्यवस्थापक और शिव जी विध्वंस एवं निर्माण के देवता बने।

पाश्चात्य विद्वानों ने भी इस सिद्धांत को स्वीकार करते हुए ही GOD (जेनेरेटर, ऑपरेटर, डिस्ट्रॉयर) शब्द गढ़ा, जो ब्रह्मा, विष्णु और शिव का ही द्योतक है। शिव ने मैदानी क्षेत्रों में परीक्षण और सर्वेक्षण कर मानव कल्याण के लिए उचित कार्य किए।

जरुर पढ़िए : जीवन को सही दिशा देनेवाली 5 किताबें

शिव-शिक्षा का सिद्धांत ही वह ज्ञान है जो आज सारी दुनिया में किसी न किसी रूप में प्रचलित है, जिसे एक वर्ग ‘शिव-शिक्षा-सिद्धांत’ के रूप में पुनः अपनाने की प्रेरणा दे रहा है। शिव के प्रति श्रद्धा का एक प्रमुख प्रमाण स्विट्जरलैंड की भौतिक विज्ञान प्रयोगशाला के द्वार पर स्थापित नटराज की मूर्ति है, जो उनके कलात्मक और वैज्ञानिक ज्ञान का प्रतीक है।

इस पुस्तक का उद्देश्य पाठकों को भगवान शिव के विभिन्न रूपों और उनसे जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों से परिचित कराना है।

मेरे आराध्य शिव
डॉ. संदीप कुमार शर्मा
पृष्ठ : 216
डायमंड बुक्स
किताब का लिंक : https://amzn.to/49Tdo3q

डॉ. संदीप कुमार शर्मा की कुछ खास किताबें :

अपने-अपने रामhttps://amzn.to/48eKWYB
हनुमान चालीसा एक आध्यात्मिक अनुभवhttps://amzn.to/3M3Mjk8
हिन्दू और हिन्दुत्व – सनातन का सांस्कृतिक समन्वयhttps://amzn.to/4i1NXyV