बिहार में हुए हालिया चुनावों के नतीजों के बाद से कांग्रेस के जहाज की बदहाली को लेकर सवालों के तीर पहले से अधिक तेज हो गए हैं। वैसे ही हर बार जब कांग्रेस की हार होती है, तो नए सवाल उठते हैं, जहाज से पुरानी कीलों के निकल जाने से पानी का स्तर बढ़ जाता है। यह कांग्रेस के लिए खतरे का सौदा बन जाता है। अमित बगड़िया की पुस्तक ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ कांग्रेस की बिगड़ती हालत और भाजपा की बढ़ती ताकत का जबदरस्त विश्लेषण करती है।

पुस्तक ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ भारतीय राजनीति के वर्तमान परिदृश्य को समझने का एक अहम दस्तावेज़ है। यह केवल एक राजनीतिक विश्लेषण नहीं है बल्कि 135 साल पुरानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के मौजूदा पतन की कहानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के परिवर्तनकारी उदय का एक शानदार वर्णन है। लेखक ने अपनी 12वीं पुस्तक के माध्यम से समकालीन भारत की तेज रफ़्तार से आगे बढ़ती राजनीतिक कहानी को कहने की एक दिलचस्प शैली अपनाई है जहाँ मोदी ने महान् पुरानी पार्टी को राजनीतिक रूप से ध्वस्त कर दिया है। यह पुस्तक पाठकों को उन महत्त्वपूर्ण कारकों और अंतर्भूत धाराओं को समझने में मदद करती है जिन्होंने भारत के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक विकास में योगदान दिया है।
पुस्तक का केंद्रीय विषय स्पष्ट है : कांग्रेस का अंत और मोदी का अभूतपूर्व शासन। लेखक ने बेबाकी से तर्क दिया है कि जहाँ एक ओर देश 300 वर्षों के विदेशी शासन के बाद अपनी अलग राष्ट्रीय पहचान के लिए संघर्ष कर रहा है वहीं प्रधानमंत्री मोदी इसी पहचान के प्रतीक बनकर उभरे हैं। उन्होंने ‘ढुलमुल देश’ या ‘यथास्थिति वाले देश’ के धब्बे को हटाने के लिए एक मजबूत कूटनीतिक रणनीति अपनाई है जो मोदी की अभिनव और महत्त्वाकांक्षी विदेश नीति का विस्तृत वर्णन करती है।
शासन की पारदर्शिता में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए जे.ए.एम. (जनधन, आधार, मोबाइल) के प्रभावी उपयोग को उजागर किया गया है। यह टूल भ्रष्टाचार, काला धन और सब्सिडी के वितरण में धाँधली जैसी बरसों से चली आ रही पुरानी समस्याओं से निपटने में सहायक सिद्ध हुआ है। लेखक स्वीकार करते हैं कि नोटबंदी, जी.एस.टी. या स्मार्ट सिटी जैसी कुछ योजनाओं को लागू करने में शुरुआती समस्याएँ रहीं, लेकिन उनका दृढ़ विश्वास है कि ये सुधार भविष्य में भारत को समृद्ध बनाएंगे।

सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि बगड़िया ने विभिन्न सरकारों की तुलना को बेबाक और स्पष्ट रूप से सामने रखा है। उन्होंने सर्जिकल और निष्पक्ष रूप से पिछली सरकारों की तुलना मोदी सरकार से की है, यहाँ तक कि विभिन्न घोटालों का निर्भीकता से खुलासा भी किया है, जिन्होंने देश की अंतरात्मा को झकझोर दिया था। इसके बावजूद, लेखक इस बात को रेखांकित करते हैं कि कमजोर विपक्ष, मुखर मीडिया और अनियंत्रित सोशल मीडिया ने लगभग हर नीतिगत फैसले में खामी खोजने का प्रयास किया, भले ही वे जानते थे कि ये सुधार देश के भविष्य के लिए लाभदायक हैं।
पुस्तक का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा वह संभावित रोडमैप है, जो लेखक ने भविष्य के लिए पेश किया है। इसमें न्यायिक, चुनावी, राजनीतिक और पुलिस सुधारों पर काफ़ी जोर दिया गया है, जो भारत के विकास के लिए दीर्घकालिक समाधान प्रस्तुत करते हैं।
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अमित बगड़िया का विस्तृत शोध और अध्ययन ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ पुस्तक को एक उत्कृष्ट रचना का रूप देता है। यह स्पष्ट है कि लेखक की भारतीय राजनीति और उसके जटिल आयामों पर असाधारण पकड़ है। उनकी लेखन-शैली दिलचस्प और तेज़ है, जो आज़ादी के बाद की भारतीय राजनीति जैसे जटिल विषय को भी पढ़ना और समझना सरल बना देती है।
लेखक की सबसे बड़ी विशेषता उनका संतुलित और निष्पक्ष रुख है। उन्होंने अपनी अनोखी निर्भीक शैली में सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों की तुलना मोदीजी से की है, लेकिन यह तुलना तथ्यों और शोध पर आधारित है। उन्होंने साहसपूर्वक नेताओं की रेटिंग का प्रयास भी किया है, जिस पर उन्होंने 100 से अधिक पृष्ठ समर्पित किए हैं। यह पद्धति उन्हें वैश्विक सिविल सोसाइटी के उस महत्त्वपूर्ण कार्य से जोड़ती है जहाँ नेताओं को उनके कार्यों और प्रदर्शन के लिए जवाबदेह ठहराया जाता है। यह बेबाक अंदाज और बिना भेदभाव के तथ्य रखने की प्रवृत्ति ही इस पुस्तक को अनोखा और अतुलनीय बनाती है। एक साधारण पाठक, जो राजनीति की जानकारी केवल अख़बारों की हेडलाइन से रखता है उसके लिए भी यह पुस्तक शिक्षा का एक सरल माध्यम सिद्ध होती है।
अमित बगड़िया की यह कृति समकालीन भारतीय राजनीति के मुरीदों के लिए अवश्य पढ़ने योग्य है। यह सिर्फ राजनीतिक दलों के बनने और बिखरने का वर्णन नहीं है बल्कि यह समझने का एक जरिया है कि कैसे उनकी नीतियों और कमियों का दूरगामी प्रभाव भारत की सामाजिक-आर्थिक संरचना पर पड़ता है। यह पुस्तक न केवल ‘लुप्तप्राय’ कांग्रेस को बल्कि भारत के प्रत्येक विवेकशील नागरिक को मौजूदा राजनीतिक संकटों और अवसरों पर विचार करने के लिए नींद से जगाती है।
यह पुस्तक हर उस व्यक्ति के संग्रह में होनी चाहिए जो भारत के अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में जानना चाहता है। जटिल राजनीतिक आयामों पर लेखक का विद्वत्तापूर्ण विश्लेषण एवं वर्णन इसे खास बनाता है और यह युवा पीढ़ी को राजनीतिक आयामों को आसान तथा बेहतर तरीके से समझने में सहायक होगी।
कांग्रेस-मुक्त भारत
अमित बगड़िया
पृष्ठ : 312
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